Sunday, 23 December 2012

गजल

लाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन
गाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन

रित्तेा रीत्तेा नदी रित्तेा किनारहरू
धाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन

मेाती टिप्छु भनि जत्ति सागर डुब
पाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन

सानिध्यकेा अाभाष गराउन फेरी
अाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन

कही झरी वर्षा घाम पानीलार्इ
छाउँछैा जीन्दगीकेा परीभाषा छैन

(रचना मिती २०६१।१२।८)

No comments:

Post a Comment